बनारस - एक प्रेम रस I शिवाय द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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बनारस - एक प्रेम रस I

बनारस यानी काशी बारे में सोचते ही भगवान शिव जैसे खुद ही सामने आ गए हो, वहाँ का पान, अस्सी घाट, और कण कण में भगवान शिव बास करते है भोर होते ही मंदिरों की घंटियां और वहाँ से निकलने वाली ॐ नमः शिवाय की ध्वनि मानो आपको तृप्ति दिला रही हो आपके दुःखो और जीवन संकटों से मुक्त करा रही हो ऐसी माया, शक्ति वाली जगह जिसे बनारस कहते है इसके नाम मे ही एक प्रेम का रस बहता है तो क्यो ना किसी को यहाँ से प्यार हो।

चलिये आपको मिलवाते है बनारस में रहने वाली एक लड़की जिसका नाम भव्या पण्डित, जो कि एक अध्यापिका और मनोविज्ञान में पी.एच.डी कर रही है उसका दिन सुबह पूजा के बाद नाश्ते शुुुरु होकर बच्चों को पढ़ाने से अपनी कक्षा लेेने और घर आनेे तक खत्म हो जाता था
वहीं हरिद्वार का रहने वाला एक लड़का जिसका नाम चंद्रशेखर है उसकी भी दिनचर्या घर और घर से दफ़्तर इन्ही में सिमटी हुई थी
ये दोनों सोशल मीडिया पर यानी फेसबुक पर बहुत समय बिताते थे दोनों की दिनचर्या एक जैसी थी दोनों ही मगन रहते थे अपने अपने काम मे, पर वो कहते है ना कि किस्मत मैं जिसे जैसे मिलना होता है वैसे मिल ही जाते है ऐसे ही अचानक इन दोनों की मुलाकात फेसबुक के कमेंट्स में हो जाती है और ये दोनो एक दो कमेंट करके बंद कर देते थे धीरे धीरे इन दोनों की बाते मैसेंजर में आ जाती है और बस रोज शाम हंसी ठिठोली में गुज़रती है ऐसे करते हुए कई दिन गुज़र जाते है धीरे धीरे बाते प्यार में बदल जाती है और मैसेंजर से सीधे कॉल पर आ जाते है,,यहाँ से हरिद्वार और बनारस का सफर शुरू होता है।
चंद्रशेखर एक दिन भव्या को भावुक होकर कहता है कि भव्या अब हमें मिलना चाहिए और मन ही मन कहीं भव्या भी यही चाहती थी कि दोनों को मिलना चाहिए। अब रास्ता थोड़ा सा तो कठिन था प्रेम रास्तो को आसान बनाने का तरीका ढूंढ ही लेता है

वहीं मिलन का सफर शुरू होता है क्यो कि चंद्रशेखर हरिद्वार से बनारस तक लोहपथगामिनी यानी रेलगाड़ी में अपनी सीट आरक्षित करा लेता है बता दूं आपको कि पहला मिलना और पहला प्यार एक कलमी आम की तरह खट्टे मीठे अहसास की तरह होता है ना तो खाया बनता है ना ही छोड़ा जा सकता है तो चंद्रशेकर चेहरे पर मुस्कान लिए गुलाबी एहसासों से भरपूर स्टेशन में रेलगाड़ी के आने का इंतजार करता है और वही भव्या अपने पलंग पर लेटे लेटे सोच रही होती है कि उसका स्वागत कैसे करेगी उसको कैसे देखेंगी उसको क्या देखी और कहाँ कहाँ ले जाएगी अब दोनी तरफ मिलन की चाह एक समुंदर की लहरों की तरह उठ रही थी कि स्टेशन पर एक आवाज़ आती है 'कृपया ध्यान दे बनारस जाने वाले सभी रुट की ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है क्यो कि आगे पटरी खराब है तो बनारस जाने वाले सभी यात्री दुसरे रुट से जा सकते है" पर प्रेम तो प्रेम है ना उम्मीद रहती ही है कि आएगी मुझे मेरे प्रेम से मिलने से कोई नही रोक सकता चंद्रशेखर की पूरी रात स्टेशन पर टहलते हुए सोचते हुए गुज़र जाती है सुबह के 4 बज चुके होते है चंद्रशेखर हताश होकर स्टेशन से बाहर निकल जाता है और अपना फ़ोन बन्द करके टिकट फाड़ते हुए रोने लगता है एक जगह बैठकर कि शायद उससे मेरा मिलना लिखा ही नही है।
अब उधर बनारस में भव्या एक दम सुन्दर सी साड़ी पहन कर तैयार हो रही होती है उसके स्वागत के लिए वो बहुत खुश होती है कि आज मैं ऐसे करूँगा वैसे करूँगा यहाँ घूमूंगी वहाँ जाऊंगी एक एहसास लिए तैयार हो रही होती है और यहाँ हरिद्वार में चंद्रशेखर एक हताश प्रेमी की तरह अपने एक दूर के भाई के पास चला जाता है वहाँ जाकर अपने भाई को सब बताता है और इधर भव्या चंद्र को कॉल कर कर के दुखी हो रही होती है और हताश होकर नाराज हो जाती है अब ना मिल पाने का दुख दोनों तरफ था भव्या सोच रही होती है कि सारे मर्द एक जैसे होते है प्यार का दिखावा करते है और इधर चंद्र अपने भाई सोनू के साथ नशे में हो जाता है कि अब भव्या को क्या जवाब देगा पूरा दिन चंद्र और भव्या का ऐसे ही निकल जाता है रात के 9 बजे चंद्र अपना फोन खोलता है वैसे ही भव्या का कॉल आ जाता है और बस भव्या चंद्र को रोते हुए सुनाने लगती है। चंद्र उसकी सारी कड़वाहट सुनता है कि कैसे भव्या ने चंद्र के लिए अपने स्कूल से छुट्टी ली और क्या क्या उसके लिए मिलने पर तैयार किया था और ये कहती है तुम नही आये तुम सबकी तरह हो और बहुत जोर जोर से रोने लगती है इतने में चंद्र की भावुक आवाज़ भव्या के कानों में पड़ती है कि माँफ़ करना पर गलती मेरी नही थी ट्रैन ही नही आई रात भर मैंने स्टेशन पर पूरी रात इंतजार किया पर वो नही आई भव्या समझ जाती है कि चंद्र नशे में है और शायद सच कह रहा है भव्या कॉल काट कर चली जाती है और चेक करके दुबारा चंद्र को रात 11 बजे कॉल करती है और कहती है कि कोई नही हम जरूर मिलेंगे अगली बार । चंद्र और भव्या रात भर बात करते है और खुश हो जाते है ।
देखा अगर प्रेम बाकई भावनाओ से हो तो कभी उम्मीद नही खोता है।

अब भव्या दूसरे दिन फिर से चंद्र को कहती है कि हम मिलेंगे और वो फिर से समय बताती है मिलने का, दोनो सहमत हो जाते है कि मिलेंगे चंद्र फिर से टिकेट कराता है और साथ मे घनिष्ठ मित्र समीर को साथ ले जाने को कहता है समीर तैयार हो जाता है अगली बार रेलगाड़ी समय पर आ जाती है दोनों पुरी रात सफर में गुज़रते है चंद्र सपनो में खोया होता है कि क्या होगा जब वो मिलेगी वही भव्या भी यही सोच रही होती है इतने में चंद्र का भव्या का मैसेज आया कि कल तुम मुझे पहचानना और लाल रंग में आना भव्या मैसेज को पढ़कर रिप्लाई नही करती है सुबह बनारस स्टेशन पर ट्रेन पहुँच जाती है दोनों स्टेशन पर उतर जाते है और उतरते ही चंद्र भव्या को मैसेज करता है हम आ गए है उधर से रिप्लाई आता है बस आ रही हूँ चंद्र और समीर वहाँ इंतजार कर रहे होते है कि सामने से भव्या लाल रंग में खिलखिलाती हुई चंद्र की ओर बढ़ रही होती है चंद्र समझ जाता है कि इसने पहचान लिया और आते ही गले लग जाती है चंद्र के मानो चन्द्र सातवे आसमान पर होता है वो महक उसकी चंद्र के पूरे बदन में फैल जाती है जैसे एक नई दुनिया का अनुभव हुआ हो इतने में समीर कहता है बस करो सब देख रहे है हमे कहीं और चलना चाहिए। भव्या दोनो को बनारस के शॉपिंग मॉल में ले जाती है वहाँ दोनों एक साथ बैठे होते है और समीर आर्डर करने चला जाता है भव्या और चंद्र फिर एक दूसरे में खो जाते है जैसे एक दूसरे की आंखे आपस मे बात कर रही हो प्यार एक नई उमंग के साथ फूट रहा हो जैसे सब कुछ थम गया हो इतने में समीर आर्डर लेकर आ जाता है तीनो साथ मे कॉफी पीते है फिर समीर कहता है चलो कोई फ़िल्म देखी जाए चंद्र भी हाँ कर देता और भव्या भी, समीर जाकर टिकट लेकर आता है और तीनों फ़िल्म के लिए चले जाते है फ़िल्म हॉल में तीनों फ़िल्म देख रहे होते है कि इतने मैं समीर को चंद्र कहता है कि भाई थोड़ी देर फ़िल्म देख मैं थोड़ी बाते कर लूं फिर से फ़िल्म छोड़ चंद्र और भव्या एक दूसरे में खो जाते है चंद्र, भव्या के गालों को चूमते हुए कहता है कि भव्या -
कैसे कहूँ कि तुम मेरे अल्फाजो की गजल हो।
कैसे कहूँ कि तुम मेरे एहसासों की फजल हो।।
भव्या कहती है तुम जैसे भी कहो मैं सब हूँ तुम्हारे लिए मैं तुम्हारे साथ ही जीना चाहती हूँ तुममे ही बसना चाहती हूँ प्लीज चंद्र मुझे छोड़कर मत जाना, चंद्र भी कहता है मैं तुम्हे कभी छोड़कर नही जाऊंगा तुम्हारे पास ही रहूंगा दोनों एक दूसरे में खो जाते है और फ़िल्म खत्म हो जाती है वहाँ से निकलते हैं तब समीर कहता है कि भव्या भाभी जी अपना शहर तो गुमाओ जरा भव्या झट से कहती है बिल्कुल और वो सारनाथ ले जाती है सारनाथ में सभी भगवान बुद्ध के दर्शन करते है और वहाँ से निकलते ही समीर कहता है कि घाट की आरती देखनी है जो कि बहुत प्रसिद्ध है तो भव्या वहां से गंगा घाट ले जाती है और वो जो दृश्य बनारस की शाम में गंगा पूजन मानो मन तृप्त हो गया हो तीनो का और आरती होते ही भव्या जाने लगती है इतने में चंद्र के आँसू निकल आते है और वो भव्या से कहता है मुझे तुम्हारे साथ रहना है रुक जाओ ना तब समीर उसको समझाता है जाने दे भाई अगली बार फिर मिल लेना। उन दोनों के इस प्रेम दृश्य को देख कर समीर कहता है भाई जो तुम्हें नसीब हुआ वो मुझे तो हो ही नही पाया क्यो कि नीतिका जो कि समीर की प्रेम कहानी थी वो भी बनारस की ही थी जिसमे नीतिका और समीर मिल नही पाये थे तो समीर ने चंद्र से बोला भाई मैने आज सिर्फ नीतिका को ही ढूंढा है हम जहाँ जहाँ गए वहाँ वहाँ पर नही मिली दोनों ही स्टेशन पर उदास बैठे होते है कि इतने में चंद्र को भव्या का कॉल आ जाता है बात करते हुए भव्या पूछती है कि क्या तुम्हें मैं पसंद आई ? चंद्र जवाब देता है कि पागल है तू तेरे साथ मुझे जीना है रहना है पूरी जिंदगी बितानी है अब बता तेरी बात का जवाब मिला भव्या कहती है हाँ मिल गया इतने में ट्रेन आ जाती है और चंद्र कॉल कट कर देता है और ट्रेन में बैठ जाता है पांच मिनट बाद ट्रेन चलने लगती है और चंद्र पूरी तरह उदास हो जाता है कि अगली बार पता नही कब मिलना होगा सुबह होते ही हरिद्वार पहुँच जाते है दोनों और सब हँसी खुशी फिर बाते होने लगती है कई दिन चंद्र भव्या से कहता रहा कि मुझे तुम्हारे पास से आना ही नही चाहिए था।
प्रेम जो है वो बिछड़ने पर ही अधिक महसूस होता है उससे पहले नही, प्रेम का अनुभव दूरी से ही हो पाता है यदि आप पास रहकर प्रेम करते है तो यकीन मानिए उसमे झगड़े ज्यादा हो जाते है और दूरी वाले प्रेम में झगड़ा होता है पर ना के बराबर, काशी भगवान शिव की बसाई हुई नगरी प्रेम तो हर गली हर कोने में पनपता है और पनपेगा भी क्यो कि दुनिया की पहला प्रेम विवाह जो किया था भगवान शिव और माता सती ने।

इसका कहानी का अगला हिस्सा जल्दी ही लिखूंगा,,इस कहानी में अभी रोचक तथ्य भी आयेगे जो आपको अच्छे लगेंगे तब तक आप हमें पढ़ते रहिए खुश रहिए और सबको खुश रखिये ।

धन्यवाद 🙏

Will be continue.... soon